२१४~ शम्भुनाथ पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेलजर, न्याय पंचायत जरहा, म्योरपुर, सोनभद्र

💎🏅अनमोल रत्न🏅💎


मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से बेसिक शिक्षा के जनपद सोनभद्र से अनमोल रत्न शिक्षक शंभू नाथ जी, पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेलजर, न्याय पंचायत-जरहा, शिक्षा क्षेत्र म्योरपुर, सोनभद्र से करा रहे है। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और शिक्षा के उत्थान के प्रति समर्पित प्रयासों से एक ऐसे विद्यालय को शून्य से सम्मानित स्थान तक पहुंचा दिया। जो कभी भय और अव्यवस्था के रूप में काला पानी कहा जाता था। ऐसी कठिन और प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अनुकूल और अनुकरणीय बनाने के लिए हम मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से नमन करते हैं।
आज जहाँ हमारे अनेकों शिक्षक साथी शहर और संसाधनों के करीब होकर भी अनेकों समस्याओं के बोझ तले दबे हुए नज़र आते हैं। जो शासन, समाज और सरकार को ही व्यवस्था का जिम्मेदार मानते रहते हैं। वही बिना किसी को दोष दिए आदरणीय शम्भुनाथ जी जैसे भी अनमोल रत्न शिक्षक हैं जो प्रत्येक प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने का प्रेरक प्रयास करते हुए परिवर्तन का विजय संदेश देने में कामयाब हो जाते हैं।

तो आइए जानते हैं भाई शंभू नाथ जी के प्रेरक और अनुकरनीय प्रयासों को उन्ही के शब्दों में:-
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मैं शंभू नाथ उच्च प्राथमिक विद्यालय नूरपुर जनपद सोनभद्र में कार्यरत हूं। सर्वप्रथम मेरी नियुक्ति 31जनवरी 2003 को सहायक अध्यापक के पद पर प्राथमिक विद्यालय पिपरहर, न्याय पंचायत किलबिल, म्योरपुर सोनभद्र में हुई थी। वहां मैं एक सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत था। नियुक्ति से पूर्व एक अन्य विद्यालय के शिक्षा मित्र द्वारा विद्यालय का संचालन किया जा रहा था, जो मेरी नियुक्ति के पश्चात मूल विद्यालय पर चले गए। जब मैं विद्यालय पर पहुँचा तो उस समय वहां की छात्र संख्या 88 थी, जिनकी उपस्थिति 35% से 40% तक होती थी। सुधार के क्रम में विद्यालय का वातावरण, साज-सज्जा, अभिभावक संपर्क, गतिविधि आधारित शिक्षण कार्य आदि पर ध्यान दिया गया। जिससे छात्र संख्या जुलाई 2005 में 212 तक पहुंच गई। अप्रैल-2005 में ज्ञात हुआ कि एक अन्य अध्यापक विद्यालय पर प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं जो अवैतनिक अवकाश पर चल रहे थे। जुलाई 2005 में उनके पुनः कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही मुझे अन्य विद्यालय प्राथमिक विद्यालय इंजानी, न्याय पंचायत जरहा, म्योरपुर सोनभद्र से सम्बद्ध करते हुए विद्यालय खोलने को कहा गया। उक्त विद्यालय में मुझे 8 अगस्त 2005 को सम्बद्ध किया गया था। उक्त विद्यालय की परिस्थिति शिक्षण कार्य के अनुकूल नहीं थी। ग्राम प्रधान से प्रधानाध्यापक के अनबन के कारण विद्यालय लगभग चार-पांच माह से बंद चल रहा था। शिक्षामित्र का मामला माननीय न्यायालय में लंबित था। उस समय छात्र संख्या 127 थी और उपस्थिति लगभग 35 से 40% थी। मैंने ग्राम प्रधान से सामंजस्य बनाकर विद्यालय का संचालन कार्य पुनः आरंभ किया तथा विद्यालय का वातावरण आकर्षक बनाया। ग्राम प्रधान के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों का साथ लेकर विद्यालय की छुट्टी के बाद सभी स्थानीय अभिभावकों से सर्वप्रथम संपर्क किया। जिससे सितंबर-2009 तक छात्र संख्या-209 और एडमिशन खत्म होते होते कुल छात्र संख्या 369 हो गई। इतने बच्चों को संभालने में मुझे परेशानी होने लगी। साथ ही साथ सत्र 2005 में उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन भी बनकर तैयार हो गया था और इस का भी संचालन का कार्य मेरे जिम्मे कर दिया गया। परिस्थिति को देखते हुए मॉनिटरिंग व्यवस्था को लागू किया। जिसका निर्देशन में स्वयं करता था। कुछ ही समय बाद एक शिक्षामित्र की नियुक्ति भी विद्यालय में हो चुकी थी तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय में भी एक सहायक अध्यापिका की नियुक्ति हो जाने से काफी लाभ मिला तब तक छात्रों की उपस्थिति 65 से 75% रहने लगी थी। कुछ समय बाद पुनः मेरी पदोन्नति 21 मई 2008 को पूर्व माध्यमिक विद्यालय तेलजर, न्याय पंचायत जरहा, म्योरपुर सोनभद्र में हो गई। यहां संपूर्ण परिस्थितियां मेरे अनुभव व परिस्थितियों के बिल्कुल विपरीत थी। विद्यालय भवन निर्माणाधीन था जिसके लिए 1 वर्ष इंतजार करना था। गांव में सड़क की व्यवस्था नहीं थी। पानी की व्यवस्था भी अच्छी नहीं थी। पानी का अभाव था। वहां के स्थानीय लोग पानी के लिए नदी व तालाब का पानी इस्तेमाल करते थे और उसे पीते भी थे। विद्युतीकरण भी नहीं था। उस गांव में एक भी अभिभावक शिक्षित नहीं थे। कोई भी अभिभावक अपना स्वयं का नाम भी लिखना नहीं जानता था। संपूर्ण समुदाय अनुसूचित जाति व जनजाति के थे जो खानाबदोश जीवन जीते थे। वहां पर नशाखोरी का बोलबाला बुरी तरह से था। विद्यालय बंद होते ही नशेड़ियों का विद्यालय भवन में जमावड़ा हो जाता था। संपूर्ण इलाका नक्सल क्षेत्र का था। जिससे बच्चों को बहला-फुसलाकर उनसे गलत कार्य कराया जाता था। इस स्थान को लोग काला पानी कहते थे। शुरुआत मुझे करनी थी। समझ में नहीं आ रहा था कि कहां से शुरुआत की जाए इसी बीच में विद्यालय का संचालन कक्षा 6 में 4 बच्चों के प्रवेश के साथ शुभारंभ किया। धीरे-धीरे कठिन परिश्रम द्वारा कुछ परिस्थितियां अनुकूल हुई बीच में अराजक तत्वों द्वारा विद्यालय के बरामदे का फर्श व खिड़की को तोड़ दिया गया। पेड़ पौधों के बढ़ने से पहले ही उन्हें तोड़ दिया गया। मैंने पुनः अपने मद से उक्त विखंडित टूटे हुए वस्तुओं की मरम्मत का कार्य कराया। सुधार के क्रम में मैंने अभिभावक संपर्क, विद्यालय पर वातावरण को आकर्षक बनाना गतिविधि आधारित शिक्षण कार्य करना आदि मुख्य रूप से जारी रहे। मेरा विद्यालय आज भी चहारदीवारी विहीन और विद्युतीकरण विहीन है तथा गर्मी में पानी हैंडपंप में नहीं आता है अर्थात सूख जाता है। पूरे गांव में गर्मियों के मौसम में ग्राम प्रधान के सहयोग से टैंकर के द्वारा जल आपूर्ति की जाती है। कुछ परिस्थितियों पर नियंत्रण पा लिया गया है और कुछ परिस्थितियों को सुधारने का प्रयास अनवरत रूप से जारी है। पहले वर्ष कक्षा-6 में 85% से 90% ऐसे बच्चे मिले जिनको 100 तक गिनती, किताब पढ़ना, ABCD आदि का ज्ञान नहीं था। ऐसी परिस्थितियों में उन्हें सामान्य अधिगम स्तर तक लाना बहुत कठिन कार्य था। यह प्रयास गतिविधि आधारित शिक्षण द्वारा ही संप्रति स्तर तक लाया गया और प्रयास निरंतर जारी है। मैं अपने आप से यही अपेक्षा करता हूं कि एक शिक्षक के कर्तव्य का निर्वहन कर सकूं।_
जय भारत, जय शिक्षक

👏 बहुत-बहुत धन्यवाद शम्भूनाथ जी।

*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से आपको आपके सहयोगी विद्यालय परिवार सहित उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ हार्दिक शुभकामनाएं!

🤝प्रस्तुति एवं संकलन🤝
आनन्द देव पाण्डेय
टीम मिशन शिक्षण संवाद सोनभद्र


👉 _मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--_

👫 *आओ हम सब हाथ मिलायें।*
*बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।*

👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।

उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।

साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०

निवेदन:- मिशन शिक्षण संवाद की समस्त गतिविधियाँ निःशुल्क, स्वैच्छिक एवं स्वयंसेवी हैं। जहाँ हम आप सब मिलकर शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि कहीं कोई लोभ- लालच या पद प्रतिष्ठा की बात कर, अपना व्यापारिक हित साधने की कोशिश कर रहा हो, तो उससे सावधान रह कर टीम मिशन शिक्षण संवाद को मिशन के नम्बर-9458278429 पर अवश्य अवगत करा कर सहयोग करें।

धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
01/04/2018

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