जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड स्मृति दिवस
जलियांवाला बाग की 13 अप्रैल 1919 की है दु:खद कहानी,
रौलट एक्ट का विरोध कर रहे लोगों को पड़ी थी जान गँवानी।
ब्रिटिश जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर चलवा दी थीं गोलियाँ,
लग रहा था मानो, खेली जा रहीं हों खून की चहुँओर होलियाँ।
स्वतन्त्रता संग्राम का था यह बड़ा ही जघन्य हत्याकाण्ड,
याद-ए-जलियां संग्रहालय जान गँवाने वालों की याद दिलाता है
बचने को अंग्रेजों की गोलियों से, कूदे लोग बाग के कुएँ में,
जलियांवाला काण्ड इतिहास में कलंक की घटना कहलाता है।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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