समझदार बनो जी

ऊर्जा संरक्षण में योगदान करो जी,

नादानियाँ छोड़ समझदार बनो जी।


जब तक है ऊर्जा हम गुनगुनाएँगे,

खत्म हुई ऊर्जा तो आँसू बहाएँगे।

निभा के फर्ज अपना जिम्मेदार बनो जी,

नादानियाँ छोड़ समझदार बनो जी।


हवाई जहाज, ट्रेन ना मोटरकार चलेगी,

पदयात्रा सभी को फिर करनी पड़ेगी।

आने वाली पीढ़ियों के पालनहार बनो जी।

नादानियाँ छोड़ समझदार बनो जी।


होगा अन्धेरा जग में रोशनी ना मिलेगी,

रेडियो, मोबाइल और ना टी वी चलेगी।

आने वाले के कल के तारणहार बनो जी,

नादानियाँ छोड़ समझदार बनो जी।


खत्म हुई गैस जो गैस चूल्हा ना जलेगा,

आसानी से फिर बोलो पेट कैसे भरेगा।

जीवन अब अपना ना दुश्वार करो जी।

नादानियाँ छोड़ समझदार बनो जी।


ए सी, कूलर, पंखे, बेवजह ना चलाओ,

बचाएँगे हम ऊर्जा कसम आज ये खाओ।

अब रोशन ये सारा संसार करो जी

नादानियाँ छोड़ समझदार बनो जी।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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