आओ सिखा दूँ अनेकार्थी

एक ही अर्थ देने वाले, कहलाते शब्द एकार्थी।
अनेक अर्थ होते हैं जिनके, होते हैं वे अनेकार्थी।।

 नहीं समस्या आए कोई, समझें सब एकार्थी
समस्या बड़ी है विकट, याद करने में अनेकार्थी।।

आओ बच्चों तुम्हें करा दूँ, याद शब्द अनेकार्थी
 गाते-गाते सिखा दूँगी, बनकर तुम्हारी सारथी।।

अ से ह तक वर्ण हैं, कहलाते अक्षर
आकाश, मोक्ष और ईश्वर भी कहे जाते अक्षर।।

 अर्थ होता धन और मतलब और कारण।
अर्थ ही होता व्याख्या और होता प्रयोजन।।

अर्ध्य होता भेंट देने योग्य और वही बहुमूल्य।
 पूजा में देने योग्य अर्ध्य और है वही पूजनीय।।

आँख का मतलब कृपा दृष्टि और होता संतान।
नेत्र, नजर, परख, विचार ये भी तुम लो जान।।

आग ही अग्नि, आग ही प्रेम आग होती बहुत गर्म।
न रखो ईर्ष्या, जलन, करते रहो बस अपने कर्म।।

 रोग दूर होना, सुख, चैन कहलाता आराम
आराम ही है बगीचा और है वही विश्राम।।

इंद्र ही है श्रेष्ठ, सूर्य, मालिक और देवता।
 ऐश्वर्यवान् हो जाता इंद्र, जीव और राजा।।

 कल का मतलब शोर, मधुर स्वर और होता मशीन।
 कल ही दिन बीता हुआ और आने वाला दिन।।

चक्र होता चक्की, चक्कर और चाक कूम्हार का।
चक्र ही होता राजकीय पदक और भंवर पानी का।।

सारंग होते हंस, कोयल, मृग और बादल।
मोर, साँप, धनुष, पपीहा, हाथी और कमल।।

शिव ही हैं महादेव और है वही भाग्यशाली।
वही करते मंगल सबका वही है कल्याणकारी।।

रचयिता
ऋतु सिंघल,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अंबेहटा चांद-1,
विकास खण्ड- रामपुर मनिहारान,
जनपद- सहारनपुर।

Comments

  1. बहुत ही सुंदर कविता लिखी है दीदी 👌👌👌👌

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    1. धन्यवाद प्रिय बहन

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  2. Too gud mam ..very useful in learning

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