नन्हें फरिश्ते

समाज को जीवंत रखने की आस,
हर हाल में संघर्षरत रहने की प्यास,
एक सुनहरी सुबह का एहसास,
और सकारात्मक बदलाव का विश्वास।

चाहकर भी विमुख नही हो पाती अपने पथ से,
क्योंकि मेरा संबल है हँसते मुस्कुराते चेहरे,
जो हर दिन लेकर आते हैं अनमोल सौगातें,
और आभावों में घिरी सैकड़ों चाहतें।

वो लाते हैं अपना नन्हे फ़रिश्ते सा कोमल तन,
जिसमे हर पल कुछ नया सीखने की है लगन,
सुन्दर और संस्कारित जीवन जीने की आस,
प्यार और वात्सल्य से ओतप्रोत अनकहे जज्बात।

सुन्दर भावों के साथ गीली मिट्टी सा कोमल मन,
जैसे भोर की निर्मल हवा की पहली सी हो छुअन,
कोयल की कूक सी मीठी चहकती आवाज़,
मानो माँ सरस्वती ने साक्षात मुझे दिया हो आशीर्वाद।

दिनभर की शिकायतों और शैतानियों का शोर,
इनसे जीवंत हो उठता है वातावरण चहुँओर,
ये सौगातें समेट लेती हूँ अपने आँचल में हर रोज,
इनके साथ जीवन का हर पल हो जाता है अनमोल।

इन फरिश्तों ने जीवन को दिए हैं सुरीले तराने,
अकेले में मुस्कुराने के सैकड़ों बहाने,
दे जाते हैं ये मुझे ताकत रूहानी,
जिससे हर दिन गढ़ती हूँ मैं एक नई कहानी।

सँवारती हूँ, सजाती हूँ, लिखती हूँ हर रोज,
इनके जीवन की किताब के पन्नों पर देती हूँ अमिट निशानी,
दे रही हूँ दिशा इनके उज्ज्वल भविष्य को हर रोज,
यही है बेसिक शिक्षा के शिक्षक की अनकही और अनसुनी सी कहानी.....
                                                           
रचयिता
रूपी त्रिपाठी,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय लोहारी,
विकास खण्ड-सरवनखेड़ा, 
जनपद-कानपुर देहात।

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