व्याकरण

ध्वनियों से मिल बनते वर्ण,
वर्णों से मिल बनते शब्द।
जो रखते हैं अपना कुछ अर्थ,
वे ही कहलाते हैं शब्द।।

स्थान, जाति या व्यक्ति का हो,
या हो किसी भाव का नाम।
सब की पहचान कराती हूँ मैं,
संज्ञा है मेरा नाम।।

जो संज्ञा के बदले आते काम,
उन सबको कहते हैं सर्वनाम।
स्त्री पुरुष की पहचान कराता हूँ,
तभी तो लिंग कहलाता हूं।।

संख्या मैं बतलाता हूँ,
तभी तो वचन कहलाता हूँ।
तीन प्रकार का होता हूँ,
एक, द्वि और बहु कहलाता हूँ।।

जो तेरे-मेरे रंग रूप का,
भले-बुरे, छोटे-मोटे का,
नापतौल, कम ज्यादा की संख्या का
ज्ञान कराता है, वही विशेषण कहलाता है।।

करने को बतलाती हूँ,
होने को दर्शाती हूँ।   
बूझो मेरा नाम जरा,
मैं क्रिया कहलाती हूँ।।

वाक्य में विशेष अर्थ जो देता है,
वही मुहावरा कहलाता है।
आवेदन पत्र दिलवाते छुट्टी और करवाते काम,
संबंधियों और मित्रों तक पत्र पहुँचाते हैं पैगाम।।

रचयिता
मनीषा डोभाल,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय नकरौंदा,
विकास खण्ड-डोईवाला,
जनपद-देहरादून,
उत्तराखण्ड।

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