पिता

एक बेटी और पिता का रिश्ता बहुत अनमोल है यह रिश्ता।
पिता करे है लालन-पालन, दुनिया का ज्ञान  भी कराता,
सही गलत में फर्क बताया, सच्ची दुनिया उसमें दिखती और दुनिया के गमों से बचाता।
सच्चा और स्वार्थ रहित प्रेम वही है जो बेटी को  देता।
एक बेटी और पिता का रिश्ता बहुत अनमोल है यह रिश्ता....

बेटी की खुशी की खातिर ही, वह हर इच्छा उसकी पूरी करता।
पुरूष है! वह पिता जरूर पर, बेटी के मन की भावनाएँ समझता।
उसका दर्द, उसकी खुशी उस जैसा कोई और पुरूष कहाँ समझ पाता।
बेटी के प्यार में, अपना मन मार उसका मन रख उसकी मन की करता।
एक पिता का त्याग चुपचाप से होता, वह त्याग अपना किसी को कभी ना जताता।
एक बेटी और पिता का रिश्ता बहुत अनमोल है यह रिश्ता.....

एक पिता ही बेटी के अरमानों को है पंख देता,
उससे खुद की पहचान बनाने की हिम्मत देता और उसके  हिस्से की आजादी देता।
वह एक ही पुरूष जो उसकी तरक्की से फूला ना समाता ना जलन कोई ना मुकाबला करता।
बेटी की खुशी में खुद की खुशी को देखता।
गलती होती बड़ी से बड़ी बेटी से तो भी, वह उसको  समझता और समझाता,
फिर से बेटी को हिम्मत और वही ढेर सा प्यार दे उससे खुद जैसा हिम्मती बनाता।
एक बेटी और पिता का रिश्ता बहुत अनमोल है यह रिश्ता.....

रचयिता
रंजना राहजहा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेवाड़ी, 
विकास खण्ड-मालवा, 
जनपद-फतेहपुर।

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