विद्यालय

विद्यालय है विद्या का आलय
नन्हें प्यारे-प्यारे बच्चे जाते उसमें पढ़ने
नई उम्मीदें नई आशाएँ लेकर
प्रातः प्रांगण में आ जाते हैं

विद्यालय ही तो तपोभूमि है
आदर्श बनाती हर बालक को
ज्ञान का दीप जलाकर ही जो
मंदिर सा पावन बनाती वो

विद्यालय ही वो नींव जीवन की
सही मार्ग दिखलाती है
गुरुजनों का आशीर्वाद जहाँ हो
प्रेम भावना सिखलाती है

विद्यालय ही वो अपना घर सा
सारे जीवन कौशल सिखलाता है
पल-पल नया-नया रूप
नया परिवेश रुचिकर बनाता है

विद्यालय ही वो पथ प्रदर्शक
जिसकी सीखें ही जीवन सफल बनाती हैं
विद्या कर्म त्याग परिश्रम से गुण
अभिलाषाओं का महल बनाता है

विद्यालय ही वो प्यारी भूमि
जहाँ से सफलता आरंभ होती है
मंजिल को पाने की चाह ही
जहाँ मंज़िल तक पहुँचाती है।

रचयिता
हिमांशी यादव,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर,
विकास खण्ड-सफीपुर,
जनपद-उन्नाव।

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