अबकि होली में

उड़े अबकी बरस दिल से,
अबीरे लाल होली में,
घुले इस बार मिसरी संग,
बदामी भांग होली में,

गली में और मुहल्ले में,
बचे कोई न कोरा सा,
मुहब्बत से रंगों इस बार,
गोरे गाल होली में।।

गुलाबी रंग लगा कर के,
जो गोरी सामने आयी,
बजे तब तार अंतर के,
हंसी थोड़ा सा शरमाई,

हृदय भरता कुलांचे जब,
पड़े रंग धार होली में,
निठल्लों की निकले टोली,
सुनाये फाग होली में।।।

बुराई को जला कर के,
गले सबके मिलो भाई,
बिता कर साल पूरे फिर,
रंगीली शाम है आयी,

तली जाए जो गुझिया,
चिप्स पापड़ संग होली में,
छने तब घोटकर के भाँग,
फिर फगुआर होली में।।।

रचयिता
प्रभात कुमार(पॉजिटिव),
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय महावां
विकास खण्ड-सरसवाँ
जनपद-कौशाम्बी।

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