रंगों का संसार

पापा संग बबलू गया बाजार
आया  है  होली  का त्यौहार ।
देखी उसने सब्जी की दुकान
रंग-बिरंगी सब्जियों की कतार ।।

कोई बसंती,नीबुई,कोई मोतिया
कोई फिरोजी,लाल कोई गेरुआ ।
कोई स्लेटी, बदामी कोई सिंदूरी
कोई नीला - पीला  कोई दूधिया ।।

अजब है रंगों का रंगीला संसार
बाजार है  इन रंगों  से गुलजार
बबलू लगा  सोचने -समझने में
इतने में पापा ने खरीदे रंग चार ।।

होली आनंद-भाईचारे का सार
सौहार्द भाव  जगाती  हर बार ।
खुशी के रंगों से रंगे जग सारा
कहता हर बार रंगों का त्यौहार ।।

रचयिता
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
रोज एक - नई कविता 
Email ID : gopalkaushal917@gmail.com
©स्वरचित ®28-2-18

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