चिड़िया रानी

घर आँगन फुदकती चिड़िया रानी,
देखा हमने न है ये कोई कहानी।
देखा करते थे  हम ,
उड़ती शाखों पे तुम,
भरतीं मन में उमंग,नई तरंग और जवानी।
घर आँगन.........
सूना आँगन हुआ है,
लौट आऔ दुआ है
यूँही बिखरा है दाना, सूखा कूँडे का पानी।
घर आँगन........
चहचहाना तुम्हारा याद आता है सबको,
चोंच भर दाना ले जाना भाता है हमको
लौट आऔ अब, राह तकती है नानी।
घर आँगन फुदकती चुलबुली रानी।।
हम ने छीना है तुम से बसेरा,
खो दिया है अपना सवेरा,
भूल हुई कैसी हम से, रूठी -रूठी सी है जिन्दगानी।
घर आँगन फुदकती......

रचयिता
फसहत रूही,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय डिडौरा,
विकास क्षेत्र-मुरादाबाद,
जनपद-मुरादाबाद।

Comments

Total Pageviews