मैं हूँ तितली मुझको न पकड़ो

" मैं हूँ तितली मुझको न पकड़ो
मैं हूँ मछली मुझको न कैद करो।
"उड़ने दो बहने दो,
मस्त पवन बन जीने दो।

"पाने दो मंजिलें,
जिसकी उन्हें है चाहत।
"बहने दो नदी सी,
हर मोड़ से गुज़रने दो।
"छूने दो उन्हें पवन को,
रोको न टोको,
न बन्धन में बाँधो।

उन्हें छूने दो ऊँचाइयों को ,
उनके पैरो को न बाँधो।
"कहीं बन्धन ये न,
छूने से रोक दे आसमाँ,
और वो उन बेड़ियो में
 इस ज़मी पर कैद।

उन नकाबों और घूँघटो के पीछे हो,
जहाँ छिपी उनकी निराशा की कहाँनियाँ।

मैं हूँ तितली मुझको न पकड़ो,
मैं हूँ मछली मुझको न कैद करो।।"

रचयिता
पूजा पाण्डेय,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कल्याणपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।

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