अक्षर को जानो


यह जो काले  'चिन्ह'  हैं
क्यों तुम्हारी नज़र से भिन्न हैं
यह जीवन को करते रंगीन हैं
इनके बिना जीवन 'महत्वहीन' है

यही तो तुम्हें देंगे  'आशा'
जिससे मिलेगा तुम्हें दिलासा
सार्थक होगी हर जिज्ञासा
तभी तो बदलेगी
तुम्हारे जीवन की  'परिभाषा'

तब तुम समझ सकोगे ऐसा
जो होगा मतलब के जैसा
पहचान सकोगे 'शिक्षा' का लहजा
पिताजी ने क्या संदेशा भेजा
किसको कितना देना है 'पैसा'

'अक्षर'  जीवन का मूल है
इनके बिना जीवन ‌शूल है
खुद को जानो, अक्षर को पहचानो
बात जो ‌अच्छी हो, सबकी मानो

      "सब पढ़ें- सब बढ़ें"

रचयिता
श्रीमती ममता जयंत,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चौड़ा सहादतपुर, 
विकास खण्ड-बिसरख, 
जनपद-गौतमबुद्धनगर।

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