सबका सम्मान करो

मादरे वतन को न हिन्दू करो न मुसलमान करो ,
मजहब दिलों में जिन्दा रहें,सबका सम्मान करो ၊

कायर होते नहीं हिन्दुस्तानी,बेपनाह फौलादी हुए ,
आंतक के खिलाफ अब शुरू जंग-ए-ऐलान करो ।

वतन का हर बच्चा-बच्चा अब सिपाही बनेगा ,
महफूज दुश्मनों से अब तो मेरा हिन्दुस्तान करो ।

वतन परसती की चाहत में कितने हो गए कुर्बान ,
मिट्टी का कर्ज  चुकाने  को यूँ न परेशान करो ।

उजड़न जाये हर मंजर तेरे आँखों का सैय्याद ,
पीठ में छुरा घोंप अब दूध  न लहूलूहान करो ၊

कतरा- कतरा लहू शहादत को अब पुकार रहा ,
खोया सम्मान पाने को इक लाल तो कुर्बान करो ၊

दफन न हो अब जज्बा - ए- हिन्द किसी गोली से ,
हर सिपाही को मुहैय्या इतना साजो सामान करो ၊

रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।

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