तस्वीर उनकी बदलने लगी है

तस्वीर उनकी बदलने लगी है,
कशिश कोशिशों से निकलने लगी है,
जीवन की बुनियाद याद आ रही है,
 पाठशालाएं फिर से सँवरने लगी हैं,
तेवर नये से, कलेवर नये से,
पद्धति व रँग रूप बदले हुए से,
गुरुजन जुटे हैं  बदलने को चिन्तन
पुन: ज्ञान बगिया महकने लगी है..
बहुत हो चुकी थीं  निन्दा नसीहत
निजी संस्थाओं के सन्मुख फजीहत,
मिशन ने किया सामना जब चुनौती
उसी दिन से चर्चा बदलने लगी है...

रचयिता
रामनारायण रानाडे,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय दाहिनी, 
चित्रकूट।

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