शिक्षक दिवस
शिक्षक अपने ज्ञान से, निर्मित करे समाज।
समय-परिस्थिति भाँपकर, बदले निज अन्दाज।। 1
श्रम कैसे साकार हो, सतत सोच उत्कर्ष।
शिष्य चढ़े ज्यों-ज्यों शिखर, त्यों-त्यों गुरु उर हर्ष।। 2
करे न प्रतिभा का हनन, और न किञ्चित भेद।
भरे पात्र गुरु पात्रता, जो नभ करदे छेद।। 3
गुरु महिमा का है नहीं, कोई पारावार।
कीचड़ को सोना करे, तृण को तीक्ष्ण कटार।। 4
शिक्षक जीवन में कभी, होता नहीं बुजुर्ग।
दलदल में निर्मित करे, वह अभेद्य दृढ़ दुर्ग।। 5
रचयिता
कवि सन्तोष कुमार 'माधव',
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरहा,
विकास खण्ड-कबरई,
जनपद-महोबा।
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