विद्यालय

हम नन्हें-मुन्ने बच्चे

विद्यालय हैं पढ़ने जाते।

अक्षर ज्ञान और  गिनती

 शिक्षक हमको हैं सिखाते

 हम नन्हें-मुन्ने बच्चे   

 विद्यालय हैं पढ़ने जाते।


 खेल कूद व शरारत करते

 और वहाँ किताब भी पढ़ते

 होता गलत जब हमारा वाचन

शिक्षक उसको सही कराते

 हम नन्हें-मुन्ने बच्चे

 विद्यालय हैं पढ़ने जाते।


 नैतिकता- सहयोग भावना

 सही ग़लत का ज्ञान पाना   

  विद्यालय ही वो           

  पावन   स्थल  है 

   जो   देश  प्रेम की

  अलख   जगाते 

  हम नन्हें-मुन्ने बच्चे

  विद्यालय हैं पढ़ने जाते।


 लगन और मेहनत से 

 आगे    बढ़ना

 जो  सीखा  उसे

 निशदिन  सिमरना

 बनकर निपुण ऐसे हम

 अपनी हर कक्षा को

  उत्तीर्ण  हैं  करते

 हम नन्हें-मुन्ने बच्चे

 विद्यालय हैं पढ़ने जाते।

 

रचयिता

अर्चना शर्मा,

सहायक अध्यापक,

कंपोजिट विद्यालय सुरेहरा,

विकास खण्ड-एत्मादपुर,

जनपद-आगरा।

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