मैं शिक्षक हूँ
है गर्व मुझे, मैं शिक्षक हूँ
बच्चों के भविष्य का संरक्षक हूँ
है गर्व मुझे, मैं शिक्षक हूँ।
निश दिन मैं विद्यालय जाता
कर्त्तव्य अपना हूँ निभाता
अज्ञानता के तम को भगाकर
ज्ञान का प्रकाश हूँ फैलाता
जीवन को जो रोशन कर दे
मैं इक ऐसा दीपक हूँ
है गर्व मुझे मैं शिक्षक हॅूँ।
कुम्भकार हैं हम कहलाते
कच्ची मिट्टी से घड़ा बनाते
डाँट- फटकार और प्यार से
अच्छे संस्कार बच्चों को सिखाते
सही-गलत का मार्ग दिखाकर
बन जाता मैं पथ -प्रदर्शक हूँ
है गर्व मुझे, मैं शिक्षक हूँ।
यह कार्य मेरा आसान नहीं
बाधाओं से कभी डरा नहीं
कहीं किसी से द्रोह नहीं
अशिक्षा से कोई मोह नहीं
कार्य अपने का जो करे अवलोकन
मैं ऐसा पर्यवेक्षक हूँ
है गर्व मुझे, मैं शिक्षक हूँ।
आदर्श चरित्र का निर्माण कराना
बीज विनम्रता के मन में उगाना
अपनी संस्कृति से परिचय करा कर
अच्छे नागरिक के कर्तव्य बताना
जो देश प्रेम की अलख जगाये
इस राष्ट्र का मैं भी नायक हूँ
है गर्व मुझे, मैं शिक्षक हूँ।
रचयिता
अर्चना शर्मा,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरेहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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