कब आओगे

कान्हा कब आओगे,

मुरली कब बजाओगे?

संग ग्वाल वालों के,

कब माखन चुराओगे?


तेरी याद बड़ी आती है, 

दिल बड़ा जलाती है।

प्यासी-प्यासी अँखियों की,

प्यास कब बुझाओगे?

कान्हा कब आओगे....


कलयुग ने हमें घेरा है,

दुःखों का बस डेरा है।

अपनी कृपा की छैंया में, 

बोलो कब सुलाओगे?

कान्हा कब आओगे....


मझधार पड़ी नैया मेरी,

पतवार कब चलाओगे।

दुनिया के भव सागर से,

मुझे पार कब ले जाओगे?

कान्हा कब आओगे....


दुष्टों का बोलबाला है,

भक्तों ने फिर पुकारा है।

कंस और दुशासन का,

वध करने कब आओगे?

कान्हा कब आओगे....


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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