हिन्दी दिवस
गरिमामयी महिमा से मंडित, हिन्दी का मैं वंदन करता,
जिसका सृजन उत्कृष्ट हिन्द हो, मैं उसका अभिनंदन करता।
मूल्य हमारे संचित जिसमें वो, हिंदी माँ के भाल की बिंदी,
हिन्दी मुझको लगे मातृसम, मैं अर्पित अपना जीवन करता।।
दूजी भाषा को भी सीखो पर, हिंदी है पहचान हमारी,
करो महारत हासिल इसमें, हिंदी है अब शान हमारी।
अभिव्यक्ति माध्यम उत्कृष्ट रहे, जीवन का उत्कर्ष इसी में,
राष्ट्रभक्ति है व्यक्त इसी में, हिंदी है प्रतिमान हमारी।।
उन्नत जाग्रत समृद्ध हृदयंगम, हिंदी है सम्मान हमारा,
हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान अब, हिन्दी है अभिमान हमारा।
हिन्दी हमारी अस्मिता हिन्दी हमारा सत आचरण है,
गागर में सागर भर देती पूरा, हिन्दी है उत्थान हमारा।।
सूर कबीरा तुलसी मीरा घनानंद की तान है हिन्दी,
समूचे भारत की आवाज़, वाणी का वरदान है हिंदी।
विरह-मिलन का साज़, हमारी अमिट पहचान है हिन्दी,
हर भाषा को सगा मानती सुबह का मधुरिम गान है हिंदी।।
रचयिता
अरविन्द कुमार,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिरसाठेर,
विकास क्षेत्र-सालारपुर,
जनपद-बदायूँ।
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