कन्हैया किसमें है
हैं रूप अनेक कन्हैया तेरे,
तेरा मैं क्या बखान करूँ।
रचा-बसा है सबमें, मुझमें,
तेरा मैं क्या गुणगान करूँ।।
मुरलीधर, बंशीधर, गिरिधर,
माखन चोर भी कहलाए।
नटखट सांवला कन्हैया,
गोपी-ग्वालों संग रास रचाए।।
दिया दिव्य ज्ञान सबको गीता का,
सत्य मार्ग दिखलाया जीवन का।
शुचि हृदय में समाया तू कन्हैया,
तू ही उद्धारक सबके जीवन का।।
अजर-अमर है आत्मा,
नहीं मारने से मरती है आत्मा।
यह रहस्य बतलाया तूने कन्हैया,
तेरी ही शरण में मैं हूँ कन्हैया।।
रचयिता
प्रतिमा उमराव,
सहायक शिक्षिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमौली,
विकास खण्ड-अमौली,
जनपद-फतेहपुर।
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