एक वीर-परमवीर

सूर्य का प्रकाश हुआ गहरा,
सागर का भी जल है ठहरा।
कर्मवीर के भाग्य को देख,
रो पडे आकाश के मेघ।
छलनी है आज उसका शरीर,
फिर भी देखो अडिग है शूरवीर।
शान से देखो बढ चला,
करने राष्ट्र का भला।
दुश्मनों के तीर न हुए खत्म,
टूट गये खुशियों के भ्रम।
हाथ लिए तिरंगा, धरती की गोद में वह सोता है,
ऐसे वीर को खोकर धरती माँ का दिल रोता है।

रचयिता
सुमन शर्मा,
इं. प्रधनाध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मांकरौल,
विकास खण्ड - इगलास,
जनपद - अलीगढ़।

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