सूर्यग्रहण

मम्मी ने पापा से बोला,
कल पड़ेगा सूर्य - ग्रहण।
मन मेरा तो कौंध गया था,
अभी पड़ा था चन्द्र ग्रहण।

पूछा जब मैंने मम्मी से,
क्या होता है सूर्यग्रहण।
डपट दिया मम्मी ने, ये कहकर,
जाओ पापा की शरण।

क्या होता है सूर्यग्रहण,
जब पूछा मैंने पापा से।
पापा ने भी टाल दिया,
और बोले पूछो टीचर से।

टीचर जी से पूछा, जब मैंने हौले,
वह मन ही मन मुस्काकर बोले।
बच्चों तुमको नहीं हैं फँसना,
ये तो है विज्ञान की घटना।

पृथ्वी घूमी, चंदा घूमा,
पर न घूमा सूरज।
इसी बात का झगड़ा बच्चों,
मन में रखो तुम धीरज।

घूम, घूमकर आते जब ये,
तीनों एक दिशा पर।
तब छाया पड़ती चंदा की,
अपनी प्यारी वसुधा पर।

पृथ्वी के जिस भाग में बच्चों,
चंदा की छाया आयी.
पृथ्वी के उस भाग से सूरज,
देता नहीं दिखायी।

प्यारे बच्चों बात पते की
अब तुम इसे समझ लो।
सूर्यग्रहण पड़ता कैसे है,
मन-मस्तिष्क में भर लो।
मन - मस्तिष्क में भर लो।

रचयिता
डॉ0 ललित कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय खिजरपुर जोशीया, 
विकास खण्ड-लोधा, 
जनपद-अलीगढ़।

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