नव वर्ष की भोर सुहानी

नव वर्ष की भोर सुहानी
पिछले वर्ष की बातें पुरानी
शीत पवन का सर-सर बहना
पक्षियों का नील गगन में उड़ना
जैसे कह रहे हों हमसे
जो हुआ अब छोड़ो उसको
मन में विश्वास जगाकर
नये जोश, उमंग को भर लो
कुछ करने की मन में ठानो
बनो नये स्वप्न के ताने-बाने
करो पूरे अधूरे वादों को
आज हम करें स्वयं से वादे
बनाएँ स्वयं के नेक इरादे
कर दे दूर समाज की कुरीतियाँ
बनाएँ कुछ प्रबल नीतियाँ
इस वर्ष बची रहें हर प्रियंका
बजा न सके कोई अत्याचारी डंका
देश प्रेम की जड़ें हो मज़बूत
बँधा रहे एकता का सूत्र।

रचयिता
इला सिंह,
सहायक अध्यापिका,
कम्पोजिट विद्यालय पनेरुआ,
विकास खण्ड-अमौली, 
जनपद-फ़तेहपुर।

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