बाल-सितारा

तुझमें ही देखूँ ईश्वर का रूप
ज्ञान का धारा तुसमें बहता है,
आकार इस जग के स्वरुप से
शून्य का ईश्वर तुझमें बसता है!

तुझमें विज्ञान छलक-छलक
कला निखर-निखर उभरता है,
चंद उत्कृष्टता का वैभव पाकर
बाल-सितारा बन निखरता है!

पौष्टिकता का व्यंजन स्वाद
आर्थिक सहायता भी पाता है,
पोशाक की हरियाली पाकर
ज्ञान का भण्डार भी बढ़ाता है!

खेल-व्यायाम से स्वस्थ रहना
शारीरिक लाभ यहाँ पाता है,
सांस्कृतिक मंच विकसित कर
जीवन संस्कृतिमय बनाता है!!
                           
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।

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