विद्यालय में जिंदगियाँ

खिल खिलकर जैसे आती है पौधों में कलियाँ,
वैसे खिलकर आती है विद्यालय में जिंदगियाँ,
नया करेंगे नया बुनेंगे, नयी-नयी राहों को चुनेंगे,
जलाएँगे नए ज्ञान का दीपक, बढ़ती जाए छोटे कदमों की दुनिया।
खिल खिलकर जैसे आती है पौधों में कलियाँ।।
अध्यापक बनकर एक माली, बनाता है सुंदर सी बगिया,
बनकर उनका पथ- प्रदर्शक, भरता है ढेरों सी खुशियाँ,
जहाँ उगे है ज्ञान का सूरज वह है विद्यालय की चौखटिया,
विद्यालय है मंदिर- मस्जिद, विद्यालय है कर्म की दुनिया।
खिल खिलकर जैसे आती है पौधों में कलियाँ।।
बनकर उभरेंगे एक सितारा, बदलेंगे अपने देश की काया,
भगाकर अंधकार का साया, देश मे फैलाएँगे प्रकाश की माया,
नन्हें-नन्हें कदमों से बढ़कर, दुनिया में बनाएँगे अपना गलियारा,
डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक रुप मे हमारे अंदर देश हित समाया।
खिल खिलकर जैसे आती है पौधों में कलियाँ।।

रचयिता
निर्मला सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय छीछा,
विकास खण्ड-खजुहा, 
जनपद-फतेहपुर।

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