हैं नव युग के निर्माता शिक्षक

हैं नव युग के निर्माता शिक्षक हम कहलाते हैं,
नन्हें मुन्ने बच्चों में हम ज्ञान के दीप जलाते हैं,
हो प्रबल प्रकाश पुंज जग के अँधियारो से,
बन दीपक की ज्योति हम खुद भी जल जाते हैं -१
है नव युग.........................

हम बबूल के पेड़ों को भी चन्दन सा महकाते हैं,
है भूमि यदि बंजर हम उस पर भी फसल उगाते हैं,
हम चेहरों को पढ़ने वाले, भाग्य बदलने वाले हम,
हम भारत के आने वाले कल की तस्वीर बनाते हैं-२
हैं नव युग.......................

अनुबंधों की, सम्बन्धों की परिभाषाएँ बतलाते हैं,
दृढ़ता काँटों सी, फूलों सी कोमलता सिखलाते हैं,
मेरे शब्दों के मोती से बनती जब रागों की माला,
शब्दों के उन मोती को हम सूरज सा चमकाते हैं-३
हैं नव युग..........................

द्वापर हो या त्रेता हो हर युग का मान बढ़ाते हैं,
हम गुरु वशिष्ठ बने, द्रोणाचार्य हम ही कहलाते हैं,
जग में जब-जब भी हुआ कहीं अपमान गुरु का,
चोटी चडक्या बांध लेते प्रत्यंचा राम चढ़ाते हैं-४
हैं नव युग..........................

वंदन है अभिनंदन "शिव" का अपने गुरु के चरणों में,
आदर्श बनो अपने गुरु के, इतिहास यही बतलाते हैं।
हैं नव युग के.......................

रचयिता
शिव प्रताप सिंह(अनुदेशक)
पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेती खुर्द बुज़ुर्ग,
विकास क्षेत्र सतांव, रायबरेली।

Comments

Total Pageviews