१७५- अजय विक्रम सिंह प्रा० वि० मरहिया ,वि क्षे -जैथरा एटा
◆ कोशिश कर हल निकलेगा, आज नहीं तो कल निकलेगा◆
जी हाँ, मित्रों आज हम आपका परिचय जनपद- एटा से बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न शिक्षक भाई अजय विक्रम सिंह जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच एवं व्यवहार कुशलता की शक्ति से 12 वर्ष से नाम विहीन अपनी दुर्दशा के आँसू बहा रहे विद्यालय को न केवल नाम दिया बल्कि उसे एवं समाज को विद्यालय होने का एहसास कराते हुए शिखर की ओर अग्रसर कर दिखाया। जो हम जैसे हजारों शिक्षकों के लिए अनुकरणीय एवं बेसिक शिक्षा की असहयोगी व्यवस्था के बीच बेसिक शिक्षा के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।
तो आइए देखते हैं अनमोल रत्नों के अनमोल एवं सराहनीय प्रयासों को;--
13 दिसम्बर 2016 को प्रा वि मरहिया में प्र अ पद का कार्यभार ग्रहण करते समय ही मुझे ज्ञात हो गया कि विद्यालय समस्याओं का भंडार गृह है।फिर भी सभी के आशीर्वाद से इन सब चुनौतियों का निपटारा कर रहा हूँ।
जुलाई 2004 से संचालित विद्यालय को 12वर्ष 6 माह वर्ष में नाम भी नही मिला। विद्यालय के कमरों व कार्यालय में कबूतरों व चूहों के घर ,फर्श की वृहद मरम्मत के साथ ही हैंड पंप का खराब ,मिट्टी भराव आदि की सुधार हेतु विशेष आवश्यकता थी।
इन सबके सुधार हेतु ग्राम पंचायत प्रधान से लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट परन्तु नतीजा शून्य रहा।
साथ ही साथ विद्यालय की सबसे बड़ी समस्या छात्रों का न आना।72 नामांकन के सापेक्ष 12-15 बच्चो का आना,न कॉपी न पेन्सिल आदि।
सर्वप्रथम दिमाग मे दो बातें चल रही थीं कि पहले अभिभावकों से संपर्क करूँ या विद्यालय के भौतिक परिवेश का सुधार करूँ।
इन सब बातों पर जब पापाजी से रॉय ली तो उन्होंने सर्वप्रथम भौतिक परिवेश के सुधार बात कह कर अपने पास से 10000/-रुपये विद्यालय के लिये दिए तो लगा कि कोई खोई हुई पूंजी वापस मिल गई।
●सर्वप्रथम विद्यालय की फर्श,दीवारों ,शौचालय की वृहद मरम्मत।
◆किवाड़ खिड़कियों की मरम्मत।
●विद्यालय को आकर्षक बनाने हेटी रंगीन पुताई व वाल पेंटिंग के रूप में tlm का निर्माण।
●20 ट्रॉली मिट्टी का भराव।
●पानी हेतु हैंड पंप का ठीक कराया।
●मानचित्र व महापुरुषों के चित्र
●साउंड सिस्टम द्वारा प्रार्थना ,राष्ट्रगान कराना।
इन सब कार्योपरांत सबसे बड़ी चुनौती छात्रों का विद्यालय न आना तथा अभिभावकों की विद्यालय के प्रति नकारात्मक छवि ।परन्तु दृढ़ निश्चय के साथ लगातार अभिभावकों से सम्पर्क करना अवकाश के दिन भी लोगो से मिलना,किन्तु वही जवाब कि 12 वर्ष से विद्यालय निम्न स्तर पर चल रहा है तो अब-----
किन्तु लगातार प्रयासों से लोगो की सोच बदलने को मजबूर किया,अभिभावकों की बैठक कराई जिसमें B.E. O., ABRC,NPRC आदि के द्वारा प्रेरित भी करवाया।
उन सब प्रयासों के बाद माह जुलाई (लगभग 6माह के कठोर परिश्रम और तपस्या के पश्चात)।अभिभावकों ने विद्यालय के प्रति अपनी सोच बदली और अपने बच्चों को विद्यालय भेजने लगे।
जुलाई 2004 से संचालित विद्यालय को 12वर्ष 6 माह वर्ष में नाम भी नही मिला। विद्यालय के कमरों व कार्यालय में कबूतरों व चूहों के घर ,फर्श की वृहद मरम्मत के साथ ही हैंड पंप का खराब ,मिट्टी भराव आदि की सुधार हेतु विशेष आवश्यकता थी।
इन सबके सुधार हेतु ग्राम पंचायत प्रधान से लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट परन्तु नतीजा शून्य रहा।
साथ ही साथ विद्यालय की सबसे बड़ी समस्या छात्रों का न आना।72 नामांकन के सापेक्ष 12-15 बच्चो का आना,न कॉपी न पेन्सिल आदि।
सर्वप्रथम दिमाग मे दो बातें चल रही थीं कि पहले अभिभावकों से संपर्क करूँ या विद्यालय के भौतिक परिवेश का सुधार करूँ।
इन सब बातों पर जब पापाजी से रॉय ली तो उन्होंने सर्वप्रथम भौतिक परिवेश के सुधार बात कह कर अपने पास से 10000/-रुपये विद्यालय के लिये दिए तो लगा कि कोई खोई हुई पूंजी वापस मिल गई।
●सर्वप्रथम विद्यालय की फर्श,दीवारों ,शौचालय की वृहद मरम्मत।
◆किवाड़ खिड़कियों की मरम्मत।
●विद्यालय को आकर्षक बनाने हेटी रंगीन पुताई व वाल पेंटिंग के रूप में tlm का निर्माण।
●20 ट्रॉली मिट्टी का भराव।
●पानी हेतु हैंड पंप का ठीक कराया।
●मानचित्र व महापुरुषों के चित्र
●साउंड सिस्टम द्वारा प्रार्थना ,राष्ट्रगान कराना।
इन सब कार्योपरांत सबसे बड़ी चुनौती छात्रों का विद्यालय न आना तथा अभिभावकों की विद्यालय के प्रति नकारात्मक छवि ।परन्तु दृढ़ निश्चय के साथ लगातार अभिभावकों से सम्पर्क करना अवकाश के दिन भी लोगो से मिलना,किन्तु वही जवाब कि 12 वर्ष से विद्यालय निम्न स्तर पर चल रहा है तो अब-----
किन्तु लगातार प्रयासों से लोगो की सोच बदलने को मजबूर किया,अभिभावकों की बैठक कराई जिसमें B.E. O., ABRC,NPRC आदि के द्वारा प्रेरित भी करवाया।
उन सब प्रयासों के बाद माह जुलाई (लगभग 6माह के कठोर परिश्रम और तपस्या के पश्चात)।अभिभावकों ने विद्यालय के प्रति अपनी सोच बदली और अपने बच्चों को विद्यालय भेजने लगे।
●माह जुलाई में उपस्थिति-60%
●माह अगस्त में उपस्थिति-90%
●माह सितम्बर में उपस्थिति-92%
●माह अगस्त में उपस्थिति-90%
●माह सितम्बर में उपस्थिति-92%
◆छात्र उपस्थिति के साथ छात्रों के अधिगम स्तर जो कि लगभग शून्य था ,विशेष सुधार किया जिसका परिणाम भी लगभग 70%मिल रहा है।
◆छात्रों को (विद्यालय नाम युक्त )टाई, बेल्ट व परिचय पत्र प्रदान किया।
◆अगस्त माह से प्रतिमाह टेस्ट /कक्षा की सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले एक छात्र व छात्रा को पुरस्कृत करना।
◆महीने में शत प्रतिशत उपस्थित छात्रों को पुरस्कार दे कर प्रोत्साहित करना।
◆स्पेशल (M D M)पार्टी के साथ माह के अंत मे बच्चों का जन्मदिन मनाना।
◆उच्च गुणवत्ता युक्त भोजन का निर्माण
◆अभिभावकों से रविवार के दिन(15 दिन में एकबार) व्यक्तिगत रूप से मिलना या मोबाइल द्वारा छात्रों के विषय मे फीडबैक प्राप्त करना ।
◆छात्रों को (विद्यालय नाम युक्त )टाई, बेल्ट व परिचय पत्र प्रदान किया।
◆अगस्त माह से प्रतिमाह टेस्ट /कक्षा की सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले एक छात्र व छात्रा को पुरस्कृत करना।
◆महीने में शत प्रतिशत उपस्थित छात्रों को पुरस्कार दे कर प्रोत्साहित करना।
◆स्पेशल (M D M)पार्टी के साथ माह के अंत मे बच्चों का जन्मदिन मनाना।
◆उच्च गुणवत्ता युक्त भोजन का निर्माण
◆अभिभावकों से रविवार के दिन(15 दिन में एकबार) व्यक्तिगत रूप से मिलना या मोबाइल द्वारा छात्रों के विषय मे फीडबैक प्राप्त करना ।
अंत मे मेरा लक्ष्य यह है कि भवन विहीन विद्यालय को दो अतिरिक्त कक्षा कक्ष मिल जाये तो दो वर्ष के अंदर फर्नीचर तथा बाउंड्रीवाल का भी निर्माण होगा क्योंकि--
"कर्म ही पूजा है"
मैं समस्त ग्रामवासियों एवं अभिभावकों का प्राथमिक विद्यालय मरहिया के प्रति बढ़े विश्वास के लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
अजय विक्रम सिंह
प्रा०वि० -मरहिया
वि०क्षे०-जैथरा
जनपद-एटा
उत्तर प्रदेश ।
प्रा०वि० -मरहिया
वि०क्षे०-जैथरा
जनपद-एटा
उत्तर प्रदेश ।
मित्रों आपने देखा कि किसी भी विद्यालय के आदर्श संचालन में सबसे बड़ी भूमिका अभिभावक और अध्यापक के बीच शैक्षणिक विश्वास की है। जो शायद न हमारी सरकारें समझना चाहती है, न ही शासन हो उन पर भरोसा है और न ही हमारे कुछ शिक्षक साथियों को आपसी विश्वास की शक्ति पता है। जिससे लगातार बेसिक शिक्षा में एक प्रयोगवादी नीति अपना कर अध्यापक और अभिभावक के बीच विश्वास की डोर कमजोर होती चली जा रही है।
बेसिक शिक्षा में विश्वास की शक्ति को प्रमाणित करने लिए भाई अजय कुमार जी एवं उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को मिशन शिक्षण संवाद की ओर उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण और अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
_आओ हम सब हाथ मिलायें।_
_बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_
_बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।_
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
_उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।_
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
27/09/2017
*विमल कुमार*
_कानपुर देहात_
27/09/2017
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