उत्प्लावन बल
◆◆खुर्शीद सर की विज्ञान की पाठशाला ◆◆
जानें उत्प्लावन बल
विषय :विज्ञान
कक्षा : 8
प्रकरण : उत्प्लावन बल
विधि : प्रयोग विधि
कक्षा : 8
प्रकरण : उत्प्लावन बल
विधि : प्रयोग विधि
"स्वयं करके सीखें"
आज कक्षा 8 के छात्रों ने अपने ही सहपाठियों को बारी बारी से प्रयोग द्वारा उत्प्लावन बल की अवधारणा को स्पष्ट रुप से समझा ।
आज कक्षा 8 के छात्रों ने अपने ही सहपाठियों को बारी बारी से प्रयोग द्वारा उत्प्लावन बल की अवधारणा को स्पष्ट रुप से समझा ।
*आवश्यक सामग्री* :
1- पानी से भरी बाल्टी
2- ईंट
3- स्प्रिंग तुला
4- काँच का गुटका
5- धागा
1- पानी से भरी बाल्टी
2- ईंट
3- स्प्रिंग तुला
4- काँच का गुटका
5- धागा
*विधि:*
छात्रों द्वारा अपनाई गयी गतिविधि का विवरण इस प्रकार है । सर्वप्रथम छात्रों ने ईंट को हाथ में उठाकर उसके भार को महसूस किया और पानी से भरी बाल्टी में डुबोकर ईंट के भार में आयी कमी को महसूस किया । भार में कमी को स्पष्ट रुप से से समझने के लिये छात्रों ने काँच के गुटके को धागे की सहायता बाँधकर धागे के दूसरे सिरे को स्प्रिंग तुला के हुक से बाँधकर स्प्रिंग तुला की सहायता से वायु में गुटके का भार मापा । जो 210 ग्राम निकला ।उसके बाद छात्रों द्वारा स्प्रिंग तुला में लटके काँच के गुटके को पानी में डुबाकर उसके भार में कमी को स्प्रिंग तुला में स्पष्ट रुप से देखा जो 120 ग्राम निकला । अर्थात पानी में डालने पर गुटके के भार में 90 ग्राम की कमी आयी । गुटके के भार में यह कमी पानी द्वारा काँच के गुटके पर ऊपर की बल लगाने के कारण आयी । इसी बल को "उत्प्लावन बल" कहते है ।
इस प्रकार कक्षा के सभी छात्रों ने सरलतापूर्वक "उत्प्लावन बल " को समझा ।
छात्रों द्वारा अपनाई गयी गतिविधि का विवरण इस प्रकार है । सर्वप्रथम छात्रों ने ईंट को हाथ में उठाकर उसके भार को महसूस किया और पानी से भरी बाल्टी में डुबोकर ईंट के भार में आयी कमी को महसूस किया । भार में कमी को स्पष्ट रुप से से समझने के लिये छात्रों ने काँच के गुटके को धागे की सहायता बाँधकर धागे के दूसरे सिरे को स्प्रिंग तुला के हुक से बाँधकर स्प्रिंग तुला की सहायता से वायु में गुटके का भार मापा । जो 210 ग्राम निकला ।उसके बाद छात्रों द्वारा स्प्रिंग तुला में लटके काँच के गुटके को पानी में डुबाकर उसके भार में कमी को स्प्रिंग तुला में स्पष्ट रुप से देखा जो 120 ग्राम निकला । अर्थात पानी में डालने पर गुटके के भार में 90 ग्राम की कमी आयी । गुटके के भार में यह कमी पानी द्वारा काँच के गुटके पर ऊपर की बल लगाने के कारण आयी । इसी बल को "उत्प्लावन बल" कहते है ।
इस प्रकार कक्षा के सभी छात्रों ने सरलतापूर्वक "उत्प्लावन बल " को समझा ।
साभार:-
डॉ खुर्शीद हसन
टीम मिशन शिक्षण संवाद झाँसी
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https://youtu.be/aYDqNoXTWdc
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