हरितालिका तीज

 प्रियतम के नाम से सजती

 व्रत की यह पावन थाली।

हृदय में श्रद्धा व प्रेम भाव

नयनों में सूरज की लाली।

हरितालिका का यह पर्व 

समर्पण की छटा निराली।

जहाँ समर्पण बन जाता है

नारी का परम रूप बलशाली।

भोर की बेला में उठती है

 कंचन सी आभा वाली।

गगन तले दीप जला कर

 करती आराधना मतवाली।

शिव-पार्वती के मिलन की

  कथा गूँजती मन में।

आशा का दीप जलाती है

 लाती जीवन में खुशहाली।

त्याग, तपस्या और संयम का 

 यह उत्सव साकार।

जहाँ धड़कनों में मिलता है 

  ईश्वर का स्नेह अपार।

रंग-बिरंगे वस्त्र पहन कर

 करती हैं मंगल गान।

प्रेम की रेखा खिंचती है 

बन प्रभु का सुंदर वरदान।

यह व्रत नहीं केवल परंपरा

यह आत्मा का है उत्सव।

जहाँ नारी का मन सजता है

  श्रद्धा और विश्वास से नव।

हरितालिका तीज का संदेश

जलती रहे प्रेम की लौ।


रचयिता

डॉ0 निशा मौर्या, 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मीरजहांपुर,
विकास खण्ड-कौड़िहार-1,
जनपद-प्रयागराज।

Comments

Total Pageviews