विषय- संस्कृत, प्रकरण- वर्णों के उच्चारण स्थान, शीट क्रमांक -22/2025, दैनिक संस्कृत शिक्षण
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क्रमांक:- 22/2025
#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण (अभ्यास कार्य)
दिनाँक- 18/08/2025
दिन- सोमवार
प्रकरण- #वर्णों_के_उच्चारण_स्थान
माहेश्वर सूत्र (प्रत्याहार का ज्ञान)
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प्रत्याहार का ज्ञान
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बच्चों! हमने माहेश्वर सूत्र को जाना। इन्हीं सूत्रों से प्रत्याहार बनते हैं। प्रत्याहार का अर्थ है- संक्षिप्त करना। हमें सन्धि की जानकारी के लिए प्रत्याहार का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। महर्षि पाणिनीय व्याकरण के अनुसार माहेश्वर सूत्र के आधार पर 42 प्रत्याहार बनते हैं।
आज हम आपको प्रत्याहार बनाने के नियम के बारे में जानकारी देंगे।
प्रत्येक माहेश्वर सूत्र में अन्तिम वर्ण हलन्तवर्ण ( ्) हैं, इन्हें 'इत्' वर्ण कहते हैं। प्रत्याहार बनाते समय 'इत्' वर्ण की गणना नहीं की जाती है।
उदाहरण के लिए
अक्- अ इ उ ण्
ऋ लृ क्
यहाँ अ से लेकर क् तक वर्णों की गणना में ण् और क् को छोड़कर बाकी अ, इ, उ, ऋ, ऌ की गणना होगी अर्थात् -
अक् = अ, इ, उ, ऋ, ऌ।
एङ्= ए, ओ।
एच्= ए, ओ, ऐ, औ।
अच्= अ, इ, उ, ऋ, ऌ, ए, ओ, ऐ, औ (पूरे स्वर। इसीलिए स्वरों को अच् कहते हैं)
झश्= झ, भ, घ, ढ, ध, ज, ब, ग, ड, द।
अभ्यास प्रश्न -
1- प्रत्याहार किसे कहते हैं?
2- प्रत्याहार बनाओ-
इक्
यण्
खर्
जश्
शर्
हल्
तकनीकी सहयोगी एवं प्रमुख सहयोगी- #माया_त्रिपाठी #भदोही
एवं
#जुगल_किशोर_त्रिपाठी #झाॅंसी
संकलन:- #टीम_मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण
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