131/2025, बाल कहानी- 21 अगस्त


बाल कहानी - तितली और भौंरा
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एक तितली और भौंरे में गहरी दोस्ती थी। दोनों सुबह होते ही अपने खाने की खोज में दूर-दूर तक जाते थे। जंगल में बुरांश, बमोर आदि कई प्रकार के फूलों का रस पीकर वे बहुत खुश होते थे। हमेशा की तरह दोनों रस लेने के लिए जंगल गये, लेकिन उन्हें कहीं भी रस नहीं मिला।भूख से उनकी जान निकल रही थी। फूलों के रस की खोज में दोनों अलग-अलग जगह चले गये। शाम होने तक जब भौंरा वापस घर नहीं पहुँचा तो तितली को बहुत चिन्ता हो गई। तितली भी भौंरे को ढूँढने निकल पड़ी।
भौंरा दूर एक तालाब में खिले हुए कमल के फूल का रस पी रहा था। रस पीने में उसे यह ध्यान ही नहीं रहा कि कमल का फूल धीरे-धीरे बन्द हो रहा है। वह तो निश्चिन्त होकर उसका रस पीने में मग्न था। जब ध्यान आया कि अभी तो उसे घर जाना है। वह फूल से उड़ने की कोशिश करने लगा। लेकिन तब-तक तो वह उस फूल के अन्दर बन्द हो चुका था। अब भौंरा जोर-जोर से रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुनकर तितली उसके पास पहुँच गयी। उसने कमल की पँखुड़ियों को खोलकर भौंरे को बाहर निकाल लिया। अपने दोस्त तितली की इस सहायता से भौंरा बहुत ही खुश हुआ और उसने तितली को धन्यवाद दिया।

#संस्कार_सन्देश -
सच्चे मित्र एक-दूसरे के साथ खड़े रहते हैं और मुश्किल समय में एक दूसरे का साथ देते हैं।

लेखिका 
#दमयन्ती_राणा (स०अ०)
रा० उ० प्रा० वि० ईड़ाबधाणी 
वि० ख० कर्णप्रयाग, जिला- चमोली 
                (उत्तराखण्ड)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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