128/2025, बाल कहानी - 18 अगस्त


बाल कहानी - सबक
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रक्षा-बन्धन की छुट्टी थी। अर्जुन ने चुपके से अपने भाई की मोटरसाइकिल की चाबी निकाली। अपने सहपाठी दौलत को साथ लेकर अपने स्थानीय बुग्याल की सैर पर निकल पड़े। हालाँकि दोनों ही नौसिखिए चालक थे।
घर से निकलते हुए उन्होंने नक्सा खोला और जहाँ जाना था, वहाँ की लोकेशन देखी। जाते समय वह सँभलते-सँभालते धीमी गति से चले। लेकिन वापसी में उन्हें पूर्ण विश्वास था कि वे गाड़ी बहुत अच्छे से चला लेंगे। गाड़ी की स्पीड बढ़ी, वह गाड़ी को नियन्त्रित न कर सके और वह सड़क किनारे खड़ी स्कूटी को जोर की टक्कर मारते हुए दीवार से जा टकराये। बाजार में आस-पास खड़े लोगों ने इसे देखा। लुढ़की हुई स्कूटी को खड़ा किया। इतने में स्कूटी का मालिक भी वहाँ पहुँच चुका था। स्थिति को समझते हुए एक बार तो उसे बहुत गुस्सा आया, लेकिन रक्षा-बन्धन पर्व होने से उन पर उसे तरस आ गया। 
काफी कहा सुनी हुई, लेकिन बच्चों की उम्र और कक्षा पूछने पर पता चला कि दोनों नाबालिक है और घर से बिना बताए निकले हैं। मानवता के नाते उन्हें छोड़ दिया गया। जब गाड़ी की मरम्मत का अनुमानित व्यय पूछा गया तो बीस हजार रुपए के करीब आया। अब गाड़ी का मालिक जो स्वयं भी एक छात्र है। वह सोच में पड़ गया कि गाड़ी की दुर्दशा की वजह क्या बताऊँ?
उन दोनों बच्चों पर काफी खरोचें और चोट आई थी। स्कूटी मालिक ने उन दोनों की मरहम पट्टी करवाया और एक निजी वाहन से घर पहुँचाया।
उन्हें गाड़ी की मरम्मत के समय उपस्थित होने के लिए कहा गया। दोनों बच्चे विनीत लाचार सहमे से थे। इस स्थिति से बहुत बड़ा सबक ले चुके थे कि घर से बिना बताए कोई चीज चुराना सबसे बड़ी भूल होती है।
डाँट, हिदायतें और लोगों की भीड़ देखकर आज उनकी मासूमियत, उनके आँसू अनजाने इस घटनाक्रम से सबक ले रहे थे।

#संस्कार_सन्देश-
हमें असावधानी से और कम आयु में वाहन कभी नहीं चलाना चाहिए। अच्छी तरह से सीखकर ही हमें इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

कहानीकार- 
श्रीमती #सरोज_डिमरी (स०अ०)
रा० उ० प्रा० वि० घतोड़ा विकासखण्ड- कर्णप्रयाग, जनपद चमोली (उत्तराखण्ड)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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