139/2025, बाल कहानी- 30 अगस्त


बाल कहानी - एहसास
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एक जंगल में दो मोर रहते थे। दोनों बहुत ही घनिष्ठ मित्र थे। एक दिन एक शिकारी जंगल में आया और एक मोर बाहर कहीं घूमने गया था और दूसरा वाला जंगल में अकेले घूम रहा था। तभी उस शिकारी की निगाह उस अकेले मोर पर पड़ी। उसने सोचा, "आज तो बहुत सारे पंख मिलेंगे, मजा आ जाएगा।" ऐसा सोचकर वह मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। बस क्या था! जल्दी से उस मोर के पास गया और उसके सारे पंख खींच लिए। मोर बहुत तड़पने लगा और बहुत कोशिश की कि वह शिकारी उसके पंख छोड़ दे, लेकिन शिकारी ने पंख नहीं छोड़े तो मोर को अपने प्रिय पंख छोड़कर जाना पड़ा। 
अब वह मोर बहुत उदास रहने लगा क्योंकि मोर की सुन्दरता उसके पंख ही होते हैं। अब उसे लगता था कि उसका जीवन बेकार हो गया है क्योंकि उसके पास अब पंख ही नहीं हैं। 
कुछ दिन के बाद उसका दोस्त मोर आया और अपने मित्र को इतना उदास और दु:खी देखकर बहुत परेशान हुआ। उसने अपने मित्र को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सब व्यर्थ ही रहा। 
कुछ दिन के बाद वह शिकारी फिर से और एक बार फिर से दूसरे मोर के पंख खींचने लगा। पहले वाले मोर को बहुत गुस्सा आया और उसने उन शिकारी के हाथ के नाखून खींच-खींचकर अलग निकालने की कोशिश की तो उसे बहुत दर्द होने लगा। वह दर्द से चिल्लाने लगा। तब एक दूसरा व्यक्ति जो इन बातों से परिचित था आकर बोला, "देखो- जैसे तुम लोगों को इस तरह दर्द हो रहा है, तो सोचों, ऐसे ही इन मोर को भी दर्द होता होगा। तब तुम्हें कोई भी दया नहीं आती। अरे! ये पक्षी हैं तो क्या उनके अन्दर जान नहीं है। " तब जाकर उन शिकारियों को अपनी गलती का एहसास हुआ और दोबारा इस तरह के कार्य न करने शपथ ली।

#संस्कार_सन्देश -
सच! अगर हम सभी किसी भी गलत कार्य को करने से पूर्व उसे अपने ऊपर आजमाएँ तो उस दर्द का एहसास अवश्य होगा और हम उस गलत कार्य को नहीं करेंगे।

कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०)
उच्च प्राथमिक विद्यालय सेमरुआ, सरसौल, कानपुर नगर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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