135/2025, बाल कहानी- 26 अगस्त
बाल कहानी - घमण्ड
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रामू एक छोटे से गाँव में रहता था। वह एक चरवाहा था। रामू के पास बहुत सारी बकरियाँ थी। रामू प्रतिदिन बकरियों को लेकर जंगल जाता था। दिन भर वह वहीं पर बैठकर बकरियों की रखवाली करता था और शाम को बकरियों को लेकर घर वापस आ जाता था।
रोज यही क्रम चलता रहता था। एक दिन रामू अपनी बकरियों को लेकर जंगल गया। उसकी दो काली और भूरी बकरियाँ झुण्ड से दूर चारा खाने निकल गयी थीं। रामू उन्हें खोजकर वापस ले आता है। घर आकर वे आपस में बातें करती हैं कि, "हम सभी बकरियों से अलग हैं। मालिक हमारी ज्यादा देख-भाल करते हैं इसलिए हमें ढूँढने घने जंगल में आते हैं।" इसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हो जाता है। वे एक-दूसरे से कहती हैं कि, "कल हम कहीं दूर जायेंगे और देखते हैं कि मालिक पहले मेरे किसे ढूँढते हैं!"
अगले दिन रामू जब उन्हें चराने जंगल ले जाता है तो काली और भूरी बकरी जान-बूझकर दूर चली जाती है। रामू उन्हें बहुत खोजता है पर वे नहीं मिलतीं। रामू उदास होकर वापस लौट आता है। काली और भूरी बकरी अब जंगल में ही रह जाती हैं। धीरे-धीरे रात का सन्नाटा बढ़ने लगता है और चारों ओर से जंगली जानवरों की आवाज आने लगती है। वे डर जाती हैं और अपनी गलती पर पछताती हैं कि उन्होंने इस तरह का कार्य क्यों किया? लेकिन अब उनके पास कोई भी उपाय नहीं था, जिससे वे अपनी जान बचा सकें। धीरे-धीरे जंगली जानवर उनके पास आने लगते हैं
और रात के अँधेरे में वे जंगली जानवरों का शिकार बन जाती हैं।
#संस्कार_सन्देश -
हमें कभी भी घमण्ड नहीं करना चाहिए और झूठा भ्रम नहीं पालना चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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