चिंकू मिंकू
चिंकू मिंकू थे दो भाई,
दूध, दही उन्हे जरा ना भाए।
चाट समोसे हर दिन खाएँ,
पिज्जा बर्गर पर जी ललचाए।
मम्मी ने उनको पास बुलाया,
प्यार से दोनों को समझाया।
जो दूध, दही, घी खाओगे,
बुद्धि और शक्ति पाओगे।
जो दूध से दूरी बनाओगे,
बीमारी को गले लगाओगे।
तुम खेल कूद ना पाओगे,
बैठ कर फिर पछताओगे।
जब यारों संग दौड़ लगाओगे,
सबसे पीछे खुद को पाओगे।
जरा बैठ कर सोचो बच्चो,
कैसा अनुभव फिर पाओगे?
चुस्ती फुर्ती ना होगी तन में,
स्कूल भी जा ना पाओगे।
रहेगा यदि ये हाल तुम्हारा,
डॉक्टर कैसे बन पाओगे?
चिंकू मिंकू फिर माँ से बोले,
अब हम ना नखरे दिखाएँगे।
जल्दी से लाओ दूध मलाई,
अब झट से हम पी जाएँगे।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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