मैं चंद्रयान हूँ
मेरी भारत माँ ने मुझे
मामा के पास भेजा है,
राखी के त्योहार पर
लेकर प्यार का संदेशा है,
मैं माँ की राखी
मामा को सौंपूँगा,
अपना यात्रा वृतांत
मामा से कहूँगा,
दुनिया खूबसूरत है
पर तू अपना जैसा है।
मेरी भारत माँ ने मुझे
मामा के पास भेजा है।।
मुझसे पहले मेरे
दो भाई भी आए थे,
दुनिया में घूमे पर
तुम तक ना आ पाए थे,
इसलिए इस बार माँ ने
रक्षा सूत्र लेकर भेजा है।
मेरी भारत माँ ने मुझे
मामा के पास भेजा है।।
बचपन में सुना था
मामा बहुत दूर है,
पर उसके पास तो
आकर्षण भरपूर है,
मामा से बात करने की
मन में जिज्ञासा है।
मेरी भारत माँ ने मुझे
मामा के पास भेजा है।।
मैं चंद्रयान -3 हूँ
खुशियाँ लुटाऊँगा,
मामा की राजी- खुशी
माँ को बताऊँगा,
मामा से मिलने की
पूरी हुई इच्छा है।
मेरी भारत माँ ने मुझे
मामा के घर भेजा है।
राखी के त्योहार पर
प्यार का संदेशा है।।
रचयिता
यशोधरा यादव 'यशो'
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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