रक्षाबंधन
हर बन्धन जुड़ता है प्यार से,
हर बन्धन टिकता है प्यार से,
जिसको बाँधा है रेशम की डोर से,
हर बन्धन की नींव है प्यार।
डोर के कण-कण में है अटूट प्यार,
तभी तो है वो अकाट्य डोर,
काट न सके कोई तलवार,
बिगाड़ न पाये कुछ भी कोई वार।
निस्वार्थ प्रेम का हो बन्धन,
हो हर रिश्ते की डोर अखंड,
तब ही पनपे रक्षा का भाव,
और कहलाये वो रक्षाबंधन।
जब हो बन्धन में प्यार,
महके वो जैसे चन्दन,
फैले खुशबू दूर तलक,
देख जिसे प्यार भी शरमाये।
है पवित्र, नाजुक ये बन्धन,
नजर पड़े नजर लग जाये,
बचाना इसे हर नज़र से,
सलामत रहे हर तरफ से।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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