घर-घर में फहरेगा तिरंगा

घर-घर में फहरेगा तिरंगा,

हर घर में फहरेगा तिरंगा।

याद दिलाता बलिदानों की,

रंग केसरी लिए तिरंगा।


झूम-झूम लहराती धरती,

हरे रंग से सजा तिरंगा।

सदा सादगी और सच्चाई,

संदेशा है श्वेत रंग का।


नील चक्र गति को दर्शाता,

पूरी एक किताब तिरंगा।

कश्मीर की वादी बोलें,

मेरी जान और मान तिरंगा।


कन्याकुमारी की ये लहरें,

छूने को बेचैन तिरंगा।

पूरब से पश्चिम तक लेकर,

फहर-फहर फहराए तिरंगा।


हार के बैठे हैं जो मन से,

दूना जोश करेगा तिरंगा।

खुद को क्यों कमजोर समझते,

ताकत-जोश भरेगा तिरंगा।


भेदभाव की भरकर खाई,

द्वेष भाव को हरेगा तिरंगा।

बोली-वेश की नहीं लड़ाई,

प्रेम-भाव फैलाए तिरंगा।


बलिदानों से मिली आजादी,

सबको यह  बतलाए तिरंगा।

मिटे देश पर कितने वीर,

उनकी याद दिलाए तिरंगा।


चयिता

राजबाला धैर्य,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरिया नारायणपुर,
विकास खण्ड-क्यारा, 
जनपद-बरेली।

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