देश है मेरा
मेरी माटी, देश है मेरा, चलो जगाएँ, है नया सवेरा।
इस मिट्टी से तिलक करें हम, दूर करें सब तेरा- मेरा।।
ये है मातृभूमि का अर्चन, चलो करें इसका संवर्धन,
घाटी नदियाँ चट्टानों में, गूँजे ये पावन संबोधन,
वीर भोग्या वसुंधरा में, बसा प्रेम का भाव उजेरा।
मेरी माटी, देश है मेरा, चलो जगाएँ, नया सवेरा।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, हैं इस माटी की अंगड़ाई,
किलकारी भरता है बचपन, विकसित होती है तरुणाई,
इस माटी के कण-कण में, है सुख समृद्धि प्रीति का डेरा।
मेरी माटी, देश है मेरा, चलो जगाएँ, है नया सवेरा।
इस माटी की खातिर सैनिक, निज प्राणों की बलि चढ़ाता,
देश की खातिर मर मिटकर के, लिपट तिरंगा में घर आता,
मातृभूमि स्वर्गादपि प्यारी इसको, शत-शत नमन है मेरा।
मेरी माटी, देश है मेरा, चलो जगाएँ, नया सवेरा।
समृद्धि सौहार्द सिखाता, लहराता है गगन तिरंगा,
करे हिमालय सदा सुरक्षा, हरीतिमा लाती है गंगा,
ज्योतिर्मय दीप जलाकर, दूर करें हम तमस घनेरा।
मेरी माटी, देश है मेरा, चलो जगाएँ, नया सवेरा।
मिले कदम से कदम हमारे, भारत माता की जय बोलें,
जाति धर्म के भेद मिटाकर, भ्रात भाव का अमृत घोलें,
आओ एक साथ सब बोलें, भारत प्यारा देश है मेरा।
मेरी माटी, देश है मेरा, चलो जगाएँ, है नया सवेरा।।
इस मिट्टी से तिलक करें हम, दूर करें सब तेरा मेरा।।
रचयिता
यशोधरा यादव 'यशो'
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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