सफर चाँद तक

जो चाँद कभी सपना था,

आज वो अपना है।

शान हमारी देखेगी दुनिया,

कल हमें चाँद पर है उतरना।

विक्रम लैंडर चंद्र सतह पर उतरेगा,

भारत एक स्वर्णिम इतिहास लिखेगा।

वो परिश्रम वो आँसू सब सफल हो जाएँगे,

जब चाँद पर हम तिरंगा लहराएँगे।

कहानियों, कविताओं में सुना था

आज आँखों से देख रहे हैं,

हम चाँद को अपने आगोश में समेट रहे हैं।

यह ज्ञान विज्ञान का संगम है

जो हम जान सकेंगे क्या चाँद में भी जीवन है।

चाँद की एक एक तस्वीर जब आती है

हर भारतीय की आँखें नम और छाती चौड़ी हो जाती है।

बस कुछ पल का इंतज़ार हम चाँद तक पहुँच जाएँगे।

गगनभेदी गर्जना होगी जब 

वंदे मातरम् के नारे लगाएँगे।

भारत की शान में

चार चाँद लगाएँगे।


रचयिता

दीपा कर्नाटक,
प्रभारी प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय छतौला,
विकास खण्ड-रामगढ़,
जनपद-नैनीताल,
उत्तराखण्ड।

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