इत्र दिवस

जैस्मिन, ख़स, कस्तूरी, चंदन,

इत्र से होती, इश की वंदन।

इसकी मौजूद की खुशबू बिखेरे,

कानन में भी, बन जाता नंदन।।


शादी, पार्टी या हो खास पल,

इत्र महकाये, बनाये खुशनुमा पल।

हृदय के ये एहसास बताता, 

सुरभित करता यह प्रेम महल।। 


मदहोश करती है खुशबू इसकी,

इक बूँद जो बिखर जाए इसकी।

आयुर्वेद में इत्र बनाने का है वर्णन,

'अस्मत बेगम' ने शुरूआत की जिसकी।।


17 फरवरी को प्रतिवर्ष,

इत्र दिवस मनाया जाता है।

पसंदीदा इत्र का लेन-देन करके,

दिवस विशेष को मनाया जाता है।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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