दयानंद सरस्वती जयंती

आधुनिक भारत के महान चिंतक,

बचपन में नाम था जिनका मूल शंकर।

वेदों का, इन्होंने प्रचार-प्रसार किया,

स्वामी दयानंद ने 'ऋषि' बनकर।।


कर्म पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य और सन्यास,

दर्शन के, ये चार स्तंभ माना।

'वेदों की ओर चलो' कहा,

वेदों की सत्ता को सर्वोपरि माना।।


12 फरवरी 1824 टंकारा, गुजरात में,

दयानंद सरस्वती जी का जन्म हुआ।

पिता करशन जी, माँ जसोदा बाई,

ब्राह्मण परिवार में, आनंद हुआ।।


सन 1875 गिरगाँव, मुंबई में,

आर्य समाज की उन्होंने स्थापना की।

शारीरिक, आध्यात्मिक, सामाजिक उन्नति हेतु,

प्राणी मात्र के कल्याण की कामना की।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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