हूल क्रांति के अमर दीप

हूल क्रांति के अमर शहीदी,
भैरव,कान्हू,सिद्धू,चाँद।
तुम जन आंदोलन के नायक,
आज तुम्हे हम करते याद।
गुरु गोविंद के चार लाडले
ज्यों लड़े धर्म की आन लिए।
स्वत्रंत्रता की बलि वेदी पर,
वैसे तुम बलिदान हुए।
 चुन्नी मांडी के बेटों ने
ऐसी ज्वाला भड़काई थी।
अंग्रेजों अपनी माटी छोड़ो
यह हुंकार लगाई थी।
करो या मरो के उदघोषक
ऐसी ललकार लगायी थी।
इसको अपना कर बापू ने
आजादी दिलवाई थी।
भग्नाडीह के ग्राम 400
एक साथ तैयार किए।
वे आजादी के अमर सिपाही
तुम उनके सरदार हुए।
अर्ध लक्ष आंदोलन कारी
जिनके पीछे खड़े हुए।
मालगुजारी अब न देंगे
अपनी जिद पर अड़े हुए।
आंदोलन की नीति समझ कर
दुश्मन था घबड़ाया।
कहा दरोगा से चारों को
पकड़ो और ले आओ।
गर्दन काट दरोगा की,
संथाली हर्षाये।
किया प्रतिज्ञा, स्वत्रंतता का
दीप न बुझने पाये।
अंग्रेजों ने सेना भेजी
दमन चक्र चलवाया।
कईयों की गर्दन काटी
और फाँसी पर लटकाया।।
चली गोलियाँ,लाठी बरसी
संथालों के ऊपर।
विचलित होते कहाँ सूरमा,
कठिनाई को सहकर।
आजादी का मान बढ़ाया
बलिदानी चाँद भैरव ने।
समर भूमि को सींच दिया,
बहराइच के गौरव ने।
सिद्दू, कान्हू कैद हो गए
गद्दारों के कारण।
फाँसी दे दी अंग्रेजों ने
प्रतिकारों के कारण।
पेड़ो पर लटके शव उनके
जैसे कहें ,भूल मत जाना।
आजादी लेकर के रहना
दुश्मन से टकराना
30 जून अठरा सौ पचपन
उनकी याद दिलाती
जीवित रखी वीरों ने
बलिदानों की परिपाटी।।
स्वत्रंतता के चार दीप
आजादी के परवाने।
देश धर्म सर्वोच्च हमारा
कह गए वीर दीवाने।
शत शत नमन चाँद और भैरव,
कान्हू,सिद्दू,मतवाले।
नत मस्तक हो आज तुम्हारी
पावन गाथा गाये।

रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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