भगीरथी का रथ उतरकर वसुंधरा पर आ रहा है

सकल सृष्टि का हर निर्मल कण सितार मधुर सा बजा रहा है,
पुष्पों का रस पीकर मधुकर गान सुमधुर गा रहा है,
तरंगिणी का निर्मल जल कल कल बहता जा रहा है
भगीरथी का रथ उतर कर वसुंधरा पर आ रहा है ।।

दिनकर की रश्मियों का क्रोध जब नभ छूने लगा,
वसुधा की अंक का कोमल सा स्पर्श दुष्कर होने लगा,
मेघों के आह्वान का तब जन जन गीत गा रहा है,
भगीरथी का रथ उतर कर वसुंधरा पर आ रहा है ।।

तपती हुयी वसुधा जब निर्जला होने लगी,
वृक्षों के पल्लवों की शक्ति क्षीण होने लगी,
खगों का व्याकुल हृदय गुहार नीर की लगा रहा है,
भगीरथी का रथ उतर कर वसुंधरा पर आ रहा है ।।

रचयिता
पूजा सचान,
(सहायक अध्यापक),
English Medium 
Primary School Maseni,
Block-Barhpur,
District-FARRUKHABAD.

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