महाराणा प्रताप जयन्ती
मेवाड़ के शूरवीर महाराणा प्रताप मुगलों पर रहे सदा भारी,
लेकिन मुगल बादशाह अकबर की ना अधीनता स्वीकारी।
जंगल में जमीन पे सोकर उन्होंने घास की रोटी खाई,
उसी वीर महाराणा प्रताप की आज जयन्ती है आई।
चेतक जैसे निर्भीक, निडर घोड़े पर करते थे युद्ध में सवारी,
घोड़े चेतक और महाराणा प्रताप की अद्भुत थी यारी।
लोहे का भाला, कवच युद्ध में रखते थे भारी दो तलवार,
कहते थे जीवन करो राष्ट्र को समर्पित, न करो इसे बेकार।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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