गंगा दशहरा पर्व
"बेटी की शादी कर हम गंगा नहा लें बस।" "अरे! तूने तो ऐसे कर्म ही किए हैं कि गंगा जी में भी नहीं धुलेंगे।"
प्रायः ऐसी बातें हम आए दिन हर किसी के मुख से सुनते रहते हैं। इन सभी बातों में गंगा माता के प्रति श्रद्धा नजर आती है। हम सब लोग उस भारत देश में रहते हैं जहां नदियों को मइया कहकर बुलाया जाता है।
ऐसी जीवनदायिनी नदियाँ हमारे देश में बहती हैं जिससे कि हमारा देश धन-धान्य वन्य जीवन से परिपूर्ण है। ऐसी ही एक नदी है जिसे हम लोग गंगा मइया कहते हैं। वही गंगा मैया आज धरती पर अवतरित हुईं थीं। जयेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाते हैं। आज के दिन हर इंसान गंगा नदी में डुबकी लगाता है। दान-पुण्य करता है। इस दिन का हर इन्सान को बहुत इन्तजार रहता है।
आज के दिन जगह-जगह पर मेले लग जाते हैं चाहे वह नहरें हो या फिर नदियाँ या फिर बम्बा और जगह-जगह पर आपको तरबूज, आम, खीरा, ककड़ी रखे मिल जाएँगे। इन सब को खाने का भी प्रचलन है हमारे यहाँ। हम सब को तो हर त्योहार उल्लास के साथ मनाना है और हमें खुशियाँ ढूँढने का बहाना चाहिए।
इस बार हमेशा की तरह भारी मात्रा में बाजार में आम नहीं आया है और तरबूज के भाव तो बहुत बढ़ गए हैं। पहले की तरह नहीं है कि बस ₹ दस-पंद्रह का ले जाओ। अब तो इतना किलो के रूप में है। लेकिन क्या किया जाए हमें तो खाना है। पहले सही था बैल-गाड़ियों में भर-भर के तरबूज आ जाते थे और एक-दो तो हम ऐसे ही मार लेते थे अब भी बचपन गाँव की यादों में है। कछला घाट पर गंगा की रेती में भारी मात्रा में तरबूज और ककड़ी, खीरे देखे हैं मैंने। गंगा माता में स्नान करो डुबकी लगाओ और वहीं से लेकर तरबूज खाओ। बहुत सारे लोग तो हरि के द्वार में गए होंगे गंगा स्नान करने। कुछ लोग गंगोत्री भी जा सकते हैं। प्रथम सेवारत होने के बाद मैंने 6 वर्ष फर्रुखाबाद में गंगा जी के क्षेत्र में गुजारे। प्रतिदिन गंगा जी के दर्शन किए और विकराल रूप भी देखा। विद्यालय पहुँचना मुश्किल हो जाता था।
अपने अपने मन की श्रद्धा है बाकी समय और पैसा। जो लोग कहीं नहीं जा पाते हैं वह घर में रखे गंगाजल को अपने बाल्टी के पानी में मिला लेते हैं और उसी से नहा लेते हैं। मगर दशहरा पर गंगा स्नान की इच्छा को सभी पूर्ण करते हैं। मन की श्रद्धा ही ऐसी है।
एक गाना सुना है मैंने, "गंगा तेरा पानी अमृत झर-झर बहता जाए युगों युगों-युगों से इस देश की धरती तुझसे जीवन पाये।"
गंगा मैया एक ऐसी नदी है जिस पर करोड़ों लोगों की श्रद्धा और विश्वास जुड़ा है जो सदैव कायम रहेगा और गंगा मैया के जल से सबको जीवन विश्वास मिलेगा।
लेखिका
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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