माँ
छोटा सा नाम तेरा पर समाया इसमें सारा जहाँ, माँ!
अपनी चिंता छोड़ के मेरी फ़िक्र तू करे,
अपनी खुशियाँ छोड़ के मेरे सपनों को बुने, माँ!
मुझको जन्म दिया, मुझको अपना लिया,
अपने लहू से सींच के मुझको बना दिया, माँ!
आज भी तुझसे कुछ कहने को जी करता है,
अपना ग़म अपना दर्द बाँटने को जी करता है;
पर तेरी थकी सी मुस्कान को खोने से डर लगता है, माँ!
मैं तुझसे जुड़ी तुझे देख के बड़ी हुई,
आज तेरे ही गुणों से मुझे पहचानता है सारा जहाँ, माँ!
दुआ देती है आज तेरी नन्हीं बच्ची तुझे,
कलेजे से सटा के जिसे सिरजा तूने;
अपने मुँह के कौर से जिसे पोषण दिया,
यहोवा तुझे दे ऐसी बरक़त तू जिये अनंत काल!!
रचयिता
मीरा कन्नौजिया,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हरखपुर,
विकास खण्ड-सिकरारा,
जनपद-जौनपुर।
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