अन्तरराष्ट्रीय पगड़ी दिवस

आन, बान, शान है पगड़ी,

रुतबा और मान है पगड़ी।

बड़े-बूढ़ों का, ये सम्मान है,

देश-संस्कृति की पहचान है।।


राजतिलक की हो तैयारी,

पगड़ी पहन कर, पद हो भारी।

कुल का गौरव मान है पगड़ी,

सिर पर रहता अभिमान पगड़ी।।


अलग-अलग परिधान निराले,

चटक रंग और हीरे मोती वाले।।

दूल्हे के सिर चढ़ती पगड़ी,

नया रंग जीवन में भरती पगड़ी।।


प्रतिवर्ष 13 अप्रैल को,

अन्तरराष्ट्रीय पगड़ी दिवस मनाते हैं।

सिख धर्म में, अनिवार्य है पगड़ी,

जागरूकता हेतु, ये दिवस मनाते हैं।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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