मेरे भगवान आए हैं

तर्ज - सजा दो घर को गुलशन सा 


सजा दो स्कूल गुलशन सा,

मेरे भगवान आए हैं।

बिछा दो फूल राहों में, 

मेरे भगवान आए हैं।


लगा माथे तिलक इनके,

करें स्वागत हम इनका।

मंगल गीत गाओ जी,

मेरे भगवान आए हैं।


करके दान शिक्षा का,

धरम अपना निभाएँ हम।

प्रेम सारा लुटाएँ हम,

मेरे भगवान आए हैं।


कला जीवन को जीने की,

इन्हें मिलकर सिखाएँ हम।

गले इनको लगाएँ हम,

मेरे भगवान आए हैं।


भर संस्कार इनमें हम,

बनाएँ इनको इंसा हम।

पिलाएँ ज्ञान का अमृत,

मेरे भगवान आए हैं।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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